
भारत में इस साल (2025) मानसून ने समय से पहले दस्तक दी है। केरल में 24 मई को ही मानसून पहुंच गया, जबकि इसकी सामान्य तारीख 1 जून मानी जाती है। यानी इस बार मानसून 8 दिन पहले आ गया है। ऐसा 2009 के बाद पहली बार हुआ है जब मानसून इतनी जल्दी आया हो। आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों हुआ, इसके पीछे कौन-कौन सी वजहें हैं और इसका देश पर क्या असर पड़ेगा।
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क्यों जल्दी आया मानसून?
मानसून के जल्दी आने के पीछे कई कारण हैं:
🔹 कम चक्रवात बने:
अप्रैल और मई में समुद्रों में कम चक्रवात बनने से मानसून की रफ्तार नहीं रुकी और वह जल्दी आगे बढ़ गया।
🔹 अच्छी प्री-मानसून बारिश:
दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में समय से पहले बारिश हुई जिससे मौसम जल्दी बदल गया।
🔹 अनुकूल हवाएं और मौसम पैटर्न:
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाएं और वातावरण मानसून को बढ़ावा देने वाला रहा।
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कैसे तय होता है मानसून का आगमन?
भारतीय मौसम विभाग (IMD) तीन मुख्य संकेत देखकर मानसून के आने की घोषणा करता है:
1. केरल के 60% हिस्सों में दो दिन तक अच्छी बारिश।
2. तय ऊंचाई पर तेज पश्चिमी हवाओं की मौजूदगी।
3. आसमान में बादल और कम OLR (Outgoing Longwave Radiation)।

क्या होगा इसका फायदा?
✅ किसानों को राहत:
मानसून जल्दी आने से किसान जल्दी बुआई शुरू कर सकते हैं, जिससे फसल बेहतर हो सकती है।
✅ जल संसाधनों में बढ़ोतरी:
झीलों, नदियों और तालाबों में जल्दी पानी आने से गर्मियों की किल्लत कम होगी।
✅ खुशहाली का संकेत:
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल सामान्य से ज्यादा बारिश होगी, जो खेती और अर्थव्यवस्था – दोनों के लिए अच्छी खबर है।
ध्यान देने वाली बात
हालांकि मानसून जल्दी आ गया है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि पूरे मौसम में अच्छी बारिश होगी। असली फायदा तभी होगा जब बारिश का वितरण सही तरीके से पूरे देश में हो।
समय से पहले आया मानसून किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है, लेकिन मौसम पर लगातार नजर रखना भी जरूरी है। अगर मानसून की चाल सही रही, तो 2025 खेती के लिहाज से एक शानदार साल हो सकता है।
