सत्तू बेचने की धुन में छोड़ी बड़ी नौकरी, परिवार ने किया विरोध, पर नहीं मानी बात, अब जानिए कितनी है कमाई?
सत्तू, जो पारंपरिक रूप से बिहार, झारखंड, और पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकप्रिय है, अब देशभर में अपनी पहचान बना रहा है। इस बदलाव के पीछे का प्रमुख कारण है सचिन कुमार और उनकी पत्नी ऋचा की मेहनत, जिन्होंने ‘सत्तूज’ नामक एक ब्रांड के तहत सत्तू को नए रूप में पेश किया। यह कहानी उनके संघर्ष, नवाचार, और दृढ़ संकल्प की है, जिससे वे सत्तू को न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाने में सफल रहे।
सत्तू से जुड़ी पारिवारिक पृष्ठभूमि सचिन कुमार का संबंध बिहार के एक पारंपरिक परिवार से है, जहाँ सत्तू का उपयोग सामान्य तौर पर किया जाता था। लेकिन सचिन ने कभी नहीं सोचा था कि इस साधारण भोजन का उपयोग एक बड़े बिजनेस में बदल सकता है। सचिन ने अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया, लेकिन उनके मन में हमेशा कुछ नया करने की चाह थी। उनके इस सपने को साकार करने में उनकी पत्नी ऋचा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बिजनेस का विचार और शुरुआती चुनौतियाँ सत्तू के पारंपरिक उपयोग को देखते हुए, सचिन और ऋचा ने इसे एक आधुनिक रूप में पेश करने का विचार किया। उन्होंने सोचा कि अगर सत्तू को नए फ्लेवर और फॉर्म में पेश किया जाए, तो यह देशभर में लोकप्रिय हो सकता है। हालांकि, यह सफर आसान नहीं था। शुरुआती दिनों में, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सत्तू का पाउडर बनाना और इसे एक प्रोडक्ट के रूप में तैयार करना, पैकेजिंग, मार्केटिंग और वितरण में कठिनाइयाँ आईं। इसके बावजूद, सचिन और ऋचा ने हार नहीं मानी और अपने विज़न पर काम करते रहे।
सत्तूज का लॉन्च और प्रतिक्रिया सत्तूज के लॉन्च के बाद, सचिन और ऋचा को उम्मीद थी कि लोग इसे पसंद करेंगे, लेकिन उन्हें इतनी तेजी से सफलता मिलेगी, इसकी उम्मीद नहीं थी। सत्तूज की पहली खेप ने ही बाजार में धूम मचा दी। लोगों ने इसे हाथों-हाथ लिया और इसकी डिमांड तेजी से बढ़ी। सत्तूज ने न सिर्फ पारंपरिक सत्तू का स्वाद बनाए रखा, बल्कि इसे चॉकलेट, जलजीरा और अन्य फ्लेवर्स में भी पेश किया, जो युवाओं और बच्चों के बीच भी हिट साबित हुआ।
सत्तूज का विस्तार और भविष्य की योजनाएँ सत्तूज की सफलता के बाद, सचिन और ऋचा ने इसे और भी बड़े स्तर पर ले जाने का फैसला किया। उन्होंने न केवल भारतीय बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपने उत्पादों को पेश किया। उन्होंने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स का भी सहारा लिया, जिससे सत्तूज की पहुँच दुनिया के हर कोने में हो सके। इसके अलावा, उन्होंने अपने प्रोडक्ट रेंज में नए फ्लेवर्स और वेराइटीज़ जोड़ीं, जिससे सत्तूज और भी अधिक लोकप्रिय हो गया।
समाज के प्रति जिम्मेदारी सत्तूज की सफलता के साथ ही, सचिन और ऋचा ने अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को भी समझा। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों से सीधे सत्तू का स्रोत किया, जिससे न केवल उन्हें शुद्ध और उच्च गुणवत्ता वाला सत्तू मिला, बल्कि किसानों को भी इसका फायदा मिला। इसके अलावा, उन्होंने अपने उत्पादन में भी आधुनिक और पर्यावरण-संवेदनशील तरीकों का उपयोग किया, जिससे उनका कारोबार टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बना।
सचिन कुमार और ऋचा की यह कहानी यह साबित करती है कि अगर सही दृष्टिकोण और दृढ़ संकल्प हो, तो किसी भी पारंपरिक उत्पाद को आधुनिक रूप में पेश करके एक सफल बिजनेस में बदला जा सकता है। सत्तूज की सफलता न केवल सचिन और ऋचा के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि यह भारतीय उद्यमियों के लिए भी एक प्रेरणा है, जो अपनी पारंपरिक धरोहर को नए रूप में पेश कर सकते हैं। इस सफर में उन्हें जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वह उनकी सफलता की कहानी को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।