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रेबीज से बचाव: कुत्ता ही नहीं, बिल्ली-बंदर भी खतरनाक—वैक्सीन कब और क्यों है जरूरी?

रेबीज को लेकर तथ्य तो हम सभी को जानना चाहिए:

1) रेबीज सिर्फ़ कुत्तों के काटने से नहीं बल्कि बिल्ली, बंदरों इत्यादि से भी हो सकता है

2) जानवरों के काटने के अलावा नोचने से भी हो सकता है

3) वैक्सीन की कोई समय सीमा नहीं है। अर्थात् अगर  किसी कारणवश 24 घंटे के अंदर नहीं लगवा पाये तो बाद में भी लगवा सकते। symptom आने से पहले लग जाना चाहिये।
अगर एक साल पहले काटा है तो भी अभी लगवा सकते हैं।

4) रेबीज के symptom आने के समय में काफ़ी ज़्यादा  variation है। हो सकता है 4 दिन में ही आ जाये या 25 वर्ष बाद भी।
अगर exposure हुआ है तो ना ख़ुद में symptom आने का इंतज़ार करना है और ना जानवर के मरने का। जितनी जल्दी हो सके anti rabies vaccine लेना है

5) रेबीज लाइलाज बीमारी है।वैक्सीन ही उपचार है। मरीज़ में अगर रेबीज के लक्षण आ जाये तो मृत्यु दर क़रीब 100 फ़ीसदी है।

इसीलिए सावधानी और सतर्कता बेहद ज़रूरी है। यदि किसी ऐसे जानवर के संपर्क में आएँ तो जितनी जल्दी हो anti-rabies वैक्सीन ले लेनी चाहिये।

रेबीज को लेकर ज़रूरी तथ्य: सतर्क रहें, सुरक्षित रहें

रेबीज एक जानलेवा बीमारी है, जिसके बारे में अक्सर लोगों के बीच कई तरह की गलतफहमियां फैली रहती हैं। हम सभी के लिए जरूरी है कि इस बीमारी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को जानें ताकि समय रहते सतर्कता बरती जा सके और ज़िंदगी बचाई जा सके। आइए जानते हैं रेबीज से जुड़े अहम तथ्य—

1. रेबीज सिर्फ कुत्तों से नहीं, अन्य जानवरों से भी फैलता है

अक्सर माना जाता है कि रेबीज केवल कुत्ते के काटने से होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह बीमारी बिल्ली, बंदर, लोमड़ी समेत अन्य मांसाहारी जानवरों के काटने या उनके खरोंच (नोचने) से भी हो सकती है।

2. खरोंच या नोचने से भी हो सकता है रेबीज

अगर कोई जानवर काटता है या नाखून से खरोंचता है और उसके लार वाले हिस्से में संपर्क होता है, तो भी रेबीज हो सकता है। इसलिए किसी भी जानवर के काटने या खरोंचने को हल्के में बिल्कुल न लें।

3. वैक्सीन की समय सीमा नहीं

रेबीज में सबसे जरूरी है वैक्सीन लगवाना। अगर किसी कारणवश 24 घंटे के भीतर वैक्सीन नहीं लगवा पाए, तो बाद में भी लगवा सकते हैं—हर हालत में, लक्षण आने से पहले वैक्सीन जरूर लगवा लें। अगर एक साल पहले भी किसी जानवर ने काटा हो और अब तक वैक्सीन नहीं लगवाई है, तो अभी भी वैक्सीन लेना फायदे मंद है।

4. लक्षण आने में समय अलग-अलग हो सकता है

रेबीज के लक्षण आने में समय-सीमा तय नहीं है—शुरुआत में कभी चार दिन में तो कभी 25 साल बाद भी लक्षण आ सकते हैं! यदि कभी भी संदेहजनक जानवर से संपर्क (काटना या नोचना) हुआ है तो लक्षण या जानवर के मरने का इंतजार बिल्कुल न करें, तुरंत डॉक्टर से मिलकर एंटी-रेबीज वैक्सीन जरूर लें।

5. रेबीज लाइलाज है, वैक्सीन ही जीवन रक्षक है

रेबीज ऐसी बीमारी है जिसमें एक बार लक्षण आ जाएँ तो 100 प्रतिशत मृत्यु दर है। इसमें इलाज संभव नहीं है, केवल वैक्सीन ही जीवन रक्षक है।

सावधानी सबसे जरूरी:
अगर किसी भी संदिग्ध जानवर के संपर्क में आए हैं या काटा-नोचा गया है तो जितनी जल्दी हो सके, नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाएं। सतर्कता और जानकारी से ही हम अपने और अपनों की ज़िंदगी बचा सकते हैं।

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