बिहार की वोटर लिस्ट में बड़ा घोटाला! एक घर में 800 वोटर दर्ज, चुनाव की साख पर सवाल

बिहार से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने लोकतंत्र की जड़ों को हिला दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राज्य की वोटर लिस्ट में कई ऐसे घर हैं जहां सैकड़ों लोगों के नाम एक ही पते पर दर्ज हैं — कुछ जगहों पर तो एक घर में 800 तक वोटर रजिस्टर्ड पाए गए हैं।
यह खुलासा @reporters_co की जांच में हुआ, जिसमें बताया गया कि बिहार के करीब 20 ऐसे घर हैं जहां एक ही पते पर सैकड़ों वोटर दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी यह मामला उठाया गया है, जहां @_YogendraYadav ने उदाहरण के तौर पर ऐसे पते पेश किए हैं।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही यह कहा था कि —
> “अगर किसी घर में 50 से ज़्यादा वोटर दर्ज हैं, तो यह संदेहास्पद माना जाएगा।”
लेकिन अब जो तथ्य सामने आए हैं, उन्होंने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनाव आयोग के मुताबिक, यह प्रक्रिया “शुद्धिकरण अभियान” के तहत की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने दावा किया था कि “22 साल में पहली बार बिहार की वोटर लिस्ट का शुद्धिकरण किया गया है।”
हालांकि, अब यह सवाल उठ रहा है कि यह “शुद्धिकरण” था या “फर्जीकरण”?
क्योंकि जांच में सामने आया है कि राज्यभर में करीब 3.2 करोड़ वोटर संदिग्ध या फर्जी पते पर दर्ज हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर वोटर लिस्ट ही संदिग्ध है, तो चुनाव की ईमानदारी पर गंभीर खतरा है। कई दलों ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
अब निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर हैं — क्या अदालत इस “फर्जी शुद्धिकरण” की सच्चाई सामने लाएगी, या यह मामला भी अन्य चुनावी विवादों की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा?
लोकतंत्र की नींव विश्वास और पारदर्शिता पर टिकी है।
अगर वोट की गिनती से पहले ही वोटर की पहचान संदिग्ध हो,
तो सवाल यह उठता है — क्या सच में हमारा वोट हमारी आवाज़ है?





