IIT से Meta तक: भारतीय युवक ने जीता 800 करोड़ का दांव, अब बनाएगा आर्टिफिशियल ब्रेन

शायद हमारी माएं सही थीं — खूब पढ़ो, आईआईटी जाओ, पीएचडी करो, और किस्मत साथ दे तो सिलिकॉन वैली तुम्हें 800 करोड़ रुपये का चेक दे देगी!
कुछ ऐसा ही हुआ है त्रपित बंसल के साथ।
त्रपित ने IIT कानपुर से ग्रेजुएशन किया।
करियर की शुरुआत Accenture में ₹8 लाख सालाना पैकेज से की।
उस समय जब “मेटा-लर्निंग” एक नया कॉन्सेप्ट था, तब उन्होंने इसमें PhD की।
Facebook, Google और OpenAI जैसी कंपनियों में इंटर्नशिप की।
RoboSumo बनाया – एक AI प्रोजेक्ट जिसमें AI एजेंट लड़ाई करके सीखते हैं।
फिर उन्होंने OpenAI का मॉडल 01 को को-क्रिएट किया – जो ChatGPT की लॉजिक और रीजनिंग की रीढ़ है।

अब Meta ने उन्हें हायर किया है AGI (Artificial General Intelligence) बनाने के लिए – वही AGI जिसे लेकर मार्क जुकरबर्ग लगातार बात कर रहे हैं।
त्रपित ने अब तक हर बड़े फ्रंटियर AI मॉडल पर काम किया है, और अब Meta के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में लीड कर रहे हैं।
चौंकाने वाली बात ये है कि त्रपित भारत के कई यूनिकॉर्न स्टार्टअप के फाउंडरों से भी ज़्यादा वैल्यूएबल हैं – और ये सब बिना कोई कंपनी शुरू किए।
उन्होंने वही रास्ता अपनाया जिसे हम अक्सर भूल जाते हैं – शुद्ध अकादमिक रिसर्च और Big Tech के जरिये AI का रास्ता।
अब ये सिर्फ ब्रेन ड्रेन नहीं रहा, ये ब्रेन एक्साइल है।
हमारे देश के टैलेंट को ट्रेनिंग के बाद बाहर की दुनिया अपना रही है, लेकिन भारत का सिस्टम उन्हें रोक नहीं पा रहा।
जो कहानी कानपुर से शुरू हुई, आज वही Meta की AGI रेस को ताकत दे रही है।
अगर हम जल्द ही भारत में खुद के रिसर्च लैब, फंडिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्लोबल स्केल मौके नहीं बना पाए –
तो अगला ट्रिलियन डॉलर इनोवेशन “Indian-made” तो होगा, लेकिन India में नहीं बना होगा।