बांग्लादेश में शेख हसीना मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी करार, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने सुनाई मौत की सज़ा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवता के खिलाफ अपराधों में दोषी पाया है। जुलाई–अगस्त 2024 के छात्र आंदोलनों के दौरान हुई हिंसा, दमन और मौतों से जुड़े मामलों में यह फैसला सुनाया गया है। अदालत के आदेश के अनुसार, हसीना को फांसी की सज़ा दी गई है।
कौन-सा मामला था?
जुलाई–अगस्त 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, जिसमें 1,400 से अधिक लोगों की मौत दर्ज की गई। न्यायाधिकरण में आरोप लगाया गया कि आंदोलन रोकने के लिए सरकारी एजेंसियों ने अत्यधिक बल, गोलीबारी, ड्रोन हमले और दमनकारी कार्रवाई की।
ट्रिब्यूनल में हसीना पर लगे प्रमुख आरोप
मानवता के खिलाफ अपराध: आंदोलनकारियों पर अत्यधिक हिंसक कार्रवाइयों का आदेश देने का आरोप।
लीथल फोर्स का इस्तेमाल: पुलिस और सुरक्षा बलों को घातक बल प्रयोग करने के निर्देश।
एक्स्ट्रा-ज्यूडिशियल किलिंग्स: कथित तौर पर बिना ट्रायल के लोगों की हत्या और शवों का निपटान।
एनफोर्स्ड डिसअपीयरेंसेस: सैकड़ों लोगों का अपहरण और लापता होना।
जांच में बाधा: जांच एजेंसियों और अदालतों पर दबाव बनाने के आरोप।
चार्जशीट में क्या था?
मामले में कुल 203 सह-आरोपी बनाए गए थे। इनमें प्रमुख नाम शामिल हैं—
पूर्व गृह मंत्री आसदुज्जमान खान कमाल (वर्तमान में भारत में)
पूर्व IGP चौधरी अब्दुल्ला अल-ममून, जो बाद में राजदूत बने
सबूत और गवाह
न्यायाधिकरण के सामने कुल 84 गवाहों ने बयान दिया।
सबूतों में शामिल थे—
सुरक्षा एजेंसियों के दस्तावेज
अस्पतालों के रिकॉर्ड
वीडियो फुटेज
ड्रोन्स और सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग
कथित आदेशों से जुड़े ऑडियो क्लिप
क्या कहा अदालत ने?
न्यायाधिकरण ने अपने निर्णय में कहा कि प्रस्तुत सबूत “मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन” को सिद्ध करते हैं और शेख हसीना को “घटनाओं की मास्टरमाइंड” माना है।
अगला कदम?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, इस फैसले के बाद शेख हसीना की टीम उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है। कुछ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने ट्रायल की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए नए सिरे से समीक्षा की मांग की है।


