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बैसाखियों से बिजनेस सम्राट तक: रामचंद्र अग्रवाल की हौसले भरी कहानी

रामचंद्र अग्रवाल की कहानी सिर्फ सफलता की नहीं, बल्कि दृढ़ता, मेहनत और उम्मीद की मिसाल है। 4 साल की उम्र में पोलियो ने उनके शरीर को जकड़ लिया, और वे बैसाखियों पर चलने को मजबूर हो गए। लेकिन उनके सपनों ने कभी लाचारी को अपना साथी नहीं बनने दिया।

गरीब परिवार में जन्मे रामचंद्र ने कोलकाता के प्रतिष्ठित सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की। 1986 में उन्होंने फोटोकॉपी की दुकान से अपने बिजनेस सफर की शुरुआत की, जो असफल रही। लेकिन वे रुके नहीं। 1990 में कोलकाता में एक कपड़ों की दुकान शुरू की, जो 15 साल तक सफलतापूर्वक चली।

उनका बड़ा सपना 2001 में साकार हुआ, जब उन्होंने विशाल मेगा मार्ट की शुरुआत की। यह स्टोर लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हुआ और 2007 तक देशभर में 645 स्टोर खुल गए। लेकिन किस्मत ने एक बार फिर परीक्षा ली। 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट आया, और उन्हें 750 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। आखिरकार 2011 में मजबूरी में उन्होंने विशाल मेगा मार्ट को सिर्फ 70 करोड़ रुपये में बेच दिया।

लेकिन रामचंद्र अग्रवाल हार मानने वालों में नहीं थे। उन्होंने दोबारा हिम्मत जुटाई और V2 रिटेल की शुरुआत की। सालों की मेहनत और अनुभव का नतीजा यह रहा कि 2024 तक V2 रिटेल 668 स्टोर के साथ 5,600 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई। उनकी पत्नी उमा अग्रवाल और बेटा आकाश अग्रवाल भी कंपनी के निदेशक के रूप में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं।

रामचंद्र अग्रवाल की यह प्रेरक कहानी हमें सिखाती है कि असफलता अंत नहीं होती, और कोई भी कमी इतनी बड़ी नहीं होती कि वो किसी के सपनों को रोक सके। जब इरादे मजबूत हों, तो बैसाखियां भी सीढ़ी बन जाती हैं सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचने की।

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