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मक्के से एथेनॉल का उत्पादन: भारतीय किसान कर रहे मोटी कमाई, जानिए क्या है संभावनाएं

भारत में मक्के से एथेनॉल उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। इससे मक्के की खेती का महत्व और उपयोग दोनों ही बढ़े हैं। मक्का न केवल खाद्य पदार्थ और पशु आहार के रूप में बल्कि औद्योगिक उपयोग के लिए भी महत्वपूर्ण हो गया है। सरकार ने इस दिशा में योजनाएं बनाई हैं और भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान को इसका जिम्मा सौंपा गया है।

जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन के लिए नया प्रोजेक्ट

वरिष्ठ मक्का वैज्ञानिक डॉ. एस एल जाट ने सरकार की इस योजना के बारे में जानकारी दी है। उनके अनुसार, जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक नया प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत मक्के की कई नई किस्मों की बुआई की जाएगी, जिससे एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

मक्के के प्रकार और उनकी विशेषताएं

भारत में मक्के की चार मुख्य प्रकार की किस्में पाई जाती हैं: डेंट कॉर्न, फ्लिंट कॉर्न, पॉपकॉर्न, और स्वीट कॉर्न। इनमें से प्रत्येक किस्म की अपनी अलग विशेषताएं और उपयोग होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

1. डेंट कॉर्न

डेंट कॉर्न को फील्ड कॉर्न के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य उपयोग दाने के उत्पादन के लिए होता है। इसमें पाए जाने वाले स्टार्च का मिश्रण कठोर और मुलायम दोनों होता है। अमेरिका डेंट कॉर्न का सबसे बड़ा उत्पादक है, जहां इसका उपयोग खाद्य उत्पाद और पशु आहार दोनों में किया जाता है।

2. फ्लिंट कॉर्न

फ्लिंट कॉर्न को उष्ण और उपोष्ण मक्का के नाम से भी जाना जाता है। यह कई रंगों में उपलब्ध होता है, जिनमें सफ़ेद और लाल रंग प्रमुख हैं। इस मक्के का बाहरी हिस्सा कठोर होता है, और इसका उत्पादन मुख्य रूप से मध्य और दक्षिण अमेरिका में किया जाता है। यह खाद्य उपयोग के साथ-साथ सजावट के लिए भी प्रयोग किया जाता है।

3. पॉपकॉर्न

पॉपकॉर्न का आकार, नमी की मात्रा और स्टार्च का स्तर अलग-अलग होता है। यह मक्का बाहर से कठोर और अंदर से नरम स्टार्च वाला होता है। पॉपकॉर्न का मुख्य उपयोग स्नैक्स के रूप में किया जाता है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है।

4. स्वीट कॉर्न

स्वीट कॉर्न में स्टार्च पूरी तरह से नर्म होता है और यह बहुत मीठा होता है। इसे तब तोड़ा जाता है जब यह अपरिपक्व होता है, क्योंकि इसमें से दूध निकलता है। स्वीट कॉर्न को ताजा खाने के लिए उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि तोड़े जाने के 24 घंटे के भीतर इसका स्टार्च 50% चीनी में बदल जाता है।

मक्के की अन्य किस्में: सेमी फ्लिंट और सेमी डेंट

सेमी फ्लिंट और सेमी डेंट मक्का, फ्लिंट और डेंट का मिश्रण होते हैं। इनमें दोनों प्रकार के गुण पाए जाते हैं और यह ट्रॉपिकल मक्का की प्रजातियाँ हैं, जो भारत में भी काफी प्रचलित हैं। ये किस्में भारत में मक्का उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

मक्के से एथेनॉल उत्पादन का बढ़ता उपयोग न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह भारत के औद्योगिक क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मक्के की विभिन्न किस्मों का उत्पादन और उनकी विशेषताएं एथेनॉल उत्पादन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

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